रिपोर्टें राकेश खरे / सूर्य देव को अर्घ्य देने के पश्चात व्रतियों ने व्रत का पारायण किया। साक्षात प्रत्यक्ष नजर आने वाले सूर्य देव के उपासना का महापर्व छठ शुक्रवार को संपन्न हुआ। गुरुवार को संध्या अर्घ्य देने के बाद जलते दीपक के साथ व्रती अपनी घरों की ओर लौट गए थे। इस दीपक को अखंड रखा गया। आधी रात के बाद से एक बार फिर व्रती और उनके परिजन घाट पर लौटने लगे। गाजे बाजे के साथ घाट पर पहुंचे व्रतियों ने अपना स्थान पुनः ग्रहण किया। सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए समिति की ओर से कच्चे दूध की भी व्यवस्था की गई। सुबह 6:14 पर सूर्योदय का मुहूर्त था लेकिन सूर्य देव ने करीब 1 घंटे की प्रतीक्षा कराई। जैसे ही आकाश पर सूर्य देव की लालिमा नजर आई, सभी ने छठी मैया और सूर्य देव के जयकारे लगाते हुए उन्हें अर्घ्य प्रदान किया। इसके पश्चात महिलाओं ने एक दूसरे को सुहाग का प्रतीक सिंदूर लगाकर उन्हें प्रसाद वितरित किया।