कब है अगस्त महीने का पहला प्रदोष व्रत 6 या 7 अगस्त? जानें तारीख, मंत्र और पूजा विधि

Aug 1, 2025 - 12:54
 0  3
कब है अगस्त महीने का पहला प्रदोष व्रत 6 या 7 अगस्त? जानें तारीख, मंत्र और पूजा विधि

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। साथ ही व्यक्ति को संतान सुख, धन संपत्ति का लाभ भी मिलता है। इस दिन व्रत करने से भगवान शिव आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। साथ ही घर परिवार में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए जानते हैं अगस्त के महीने का पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा।

अगस्त महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है ?
बता दें कि हर महीने की शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। पंचांग की गणना के अनुसार 6 तारीख को अगस्त माह का पहला प्रदोष व्रत किया जाएगा। 6 तारीख को दोपहर में 2 बजकर 9 मिनट से द्वादशी तिथि समाप्त होकर त्रयोदशी तिथि का आरंभ होगा। संध्याकाल में त्रयोदशी तिथि व्याप्त होने के कारण 6 तारीख को ही बुध प्रदोष व्रत का संयोग बनेगा। 6 अगस्त को बुधवार होने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा। शास्त्रों में विधान है कि जब भी त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल यानी शाम के समय होती है उस समय ही प्रदोष व्रत किया जाता है। क्योंकि, प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि होने से शिव जी का वास वृषभ पर होगा। जिसे की बेहद शुभ और अभीष्ट सिद्धि देने वाला बताया गया है। यानी इस दिन किए गए व्रत को करने से आपकी जो भी मनोकामना है वह जरूर पूरी होगी।

प्रदोष व्रत का महत्व
शिव पुराण में प्रदोष व्रत को लेकर बताया गया है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से प्रदोष व्रत करता है भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही व्यक्ति को धन संपत्ति लाभ के साथ साथ संतान सुख की प्राप्ति भी होती है। भगवान शिव का आशीर्वाद और कृपा पाने के लिए हर महीने प्रदोष व्रत करना चाहिए।

प्रदोष व्रत पूजा विधि
० प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर के सभी काम करने के बाद स्नान कर लें। इसके बाद भगवान शिव को नमन करते हुए व्रत का संकल्प लें।
० इसके बाद सबसे पहले शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करें। अभिषेक के लिए जल में गंगाजल, दूध, दही, शहद आदि चढ़ाकर अभिषेक करें। अभिषेक करते समय ओम नमो भगवते रुद्राय नमः मंत्र का जप करें।
० फिर शिवलिंग पर सफेद चंदन, धतूरा, शमी के पत्तियां, फूल, फल, भस्म आदि अर्पित करें। ये सभी चीजें अर्पित करते हुए ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि! तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् मंत्र का जप करें।
० इसके बाद घी का दीपक जलाकर भगवान शिव की आरती करें। प्रदोष व्रत में दो बार पूजा करें। पहले सुबह और दूसरा प्रदोष काल का समय व्रत करें। पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती के बाद पूजा पाठ में की गई भूल चूक के लिए माफी मांगे।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0